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यादों के झरोखे भाग १८

डायरी दिनांक ०१/१२/२०२२

  शाम के छह बजकर तीस मिनट हो रहे हैं ।

  आज मैनपुरी अदालत गया तो पूरे दिन व्यस्तता रही। नीचे भाईसाहब और भाभीजी दोनों ही दो तीन दिनों के लिये बाहर गये हैं। उनके जाने से मिक्की काफी उदास है। पहले जब दोनों तीन दिनों के लिये बाहर गये थे, उस समय मिक्की रात में नीचे ही सोती थी। हमारी काफी कोशिशों के बाद भी रात में ऊपर नहीं रुकती थी। पर अब सर्दियाँ शुरू हो चुकी हैं। ऐसे में उसे रात में ऊपर कमरे में रोकना जरूरी है। देखते हैं कि इस चुनौती को हम किस तरह पार करेंगें।


  जब मैं मथुरा में रहकर पढाई कर रहा था, उन दिनों अक्सर वृंदावन घूमने जाता रहता था। मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि तो हर रविवार अवश्य ही जाता था। वहीं भूतेश्वर महादेव के मंदिर पर भी मेरा जाना होता रहता था।


  एक बार मैं मम्मी के साथ वृंदावन गया। उस दिन परिक्रमा मार्ग के कई मंदिरों के दर्शन किये। शहर की चकाचौंध से दूर लगभग अज्ञात मंदिरों के दर्शनों में भी कुछ अलग सा आनंद है। वह आनंद जो कि बहुत अधिक प्रसिद्ध स्थलों पर भी नहीं मिलता। सच्ची बात है कि एकांत साधना की बातें इन्हीं स्थानों पर संभव हैं।


  उन दिनों भी बांकेबिहारी जी के मंदिर में काफी भीड़ होती थी। पर ठाकुर जी के दर्शन अच्छी तरह हो जाते थे। अब तो विगत दिनों जिस तरह के समाचार अखबार में प्रकाशित हुए, उस आधार पर तो आजकल अधिकांश भक्त मात्र धक्के खाकर वापस आ रहे हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर भीड़ का रैला, मंदिर के निकास द्वार तक भक्तों को धकेलता जाता है। फिर बहुत से भक्तों को तो ज्ञात भी नहीं होता कि ठाकुर जी मंदिर में किस तरह स्थित हैं।

   एक बार मैं और मम्मी वृंदावन के एक मंदिर में गये। (नाम नहीं लिखूंगा।) वहां पुजारी जी ने मंदिर के पट बंद कर रखे थे। जब पंद्रह बीस दर्शनार्थी आ पहुंचे तब उन्होंने सभी को बिठा दिया। फिर मंदिर के पट इस संदेश के साथ खोले के हमारे मंदिर में बैठकर ही दर्शन होते हैं। तथा कोई भी उठेगा नहीं। पट खोलने के बाद उन्होंने मंदिर की विभिन्न सेवाओं (तुलसी सेवा, भोग सेवा और भी न जाने क्या क्या) के बारे में बताया। उन सेवाओं में सबसे सस्ती सेवा ही काफी मंहगी थी। फिर सभी दर्शनार्थियों से किसी न किसी सेवा का संकल्प लेने के लिये वाध्य करने लगे। मुझे यह बिल्कुल अच्छा नहीं लगा।

  अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम ।


  

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1 Comments

Gunjan Kamal

05-Dec-2022 07:34 PM

👏👌🙏🏻

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